MA Semester-1 Sociology paper-II - Perspectives on Indian Society - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2682
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?

अथवा
भारतीय समाज के अतीत और वर्तमान में सातत्य का विवेचना कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न - भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं?
अथवा
भारतीय समाज एवं संस्कृति में एकता की विवेचना कीजिये? अथवा भारत की सांस्कृतिक एकता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -

भारतीय समाज सुदीर्घ विकास का प्रतीक है। युगों युगों से भारतीय समाज ने अपनी सांस्कृतिक एवं ढाँचागत मौलिकता को संजोय रखा है साथ ही प्रत्येक ऐतिहासिक नवीनता को भी बाखूबी आत्मसात् किया है। इस प्रकार भारतीय समाज का वर्तमान स्वरूप दीर्घकालीन सांस्कृतिक विकास का परिणाम है। इस उत्तरोक्त विकास की प्रक्रिया में भारतीय समाज की मूल परम्पराएँ पूर्ण रूप से फली फूली हैं। किन्तु भारतीय समाज का वर्तमान अतीत का झरोखा मात्र नहीं है वरन् भारतीय सामाजिक संरचना की संस्थागत आधारशिलाओं एवं वैचारिक मान्यताओं पर निर्मित एक. भव्य इमारत है जिस का रंगरूप वैशविक आधुनिकता की झलक से भी झिलमिला रहा है। वास्तव में, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, संयुक्त परिवार व्यवस्था, जाति व्यवस्था, ग्राम्य प्रधारता, लिंग 'विभेदीकरण के जिन प्राचीन संतम्भों पर भारतीय समाज टिका रहा है उन में समय के साथ-साथ अनेक बदलाव आते रहे हैं और आज हम जिस भारतीय समाज से रूबरू हैं वह इन सतत परिवर्तनों का ही परिणाम है।

वास्तव में देश में पाई जाने वाली विविधता ने ही भारत देश को एक सूत्र में बाँधने का काम किया है। इन विविधताओं ने निम्नलिखित रूप से अभिसरण एवं एकीकरण लाने में सहायता प्रदान की है

1. भौगोलिक एकीकरण - भौगोलिक दृष्टि से भारत अनेक भागों में बँटा हुआ देश है, परन्तु उसके भीतर एकता निहित है। तीन ओर से घेरे हुए विशाल समुद्र और उत्तर में हिमालय भारत को संसार के अन्य देशों से अलग करता है, परिणामस्वरूप भौगोलिक दृष्टि से इसकी निश्चित सीमायें इसे एक पृथक् इकाई बनाती हैं।

भौगोलिक एकीकरण प्राचीनकाल से भारतवासियों में अपने देश के प्रति अनुभूति के साथ जुड़ी हुई है। 'मातृभूमि' मातृदेवी के रूप में सदैव पूजनीय और वन्दनीय रही है। हिन्दुओं की सांस्कृतिक परम्पराओं में इसके प्रमाण मिलते हैं।

2. धार्मिक एकीकरण - धार्मिक दृष्टि से भारत में बड़ी विविधता है। यहाँ अनेक धर्म और सम्प्रदाय हैं। भारत जैसे आध्यात्मिक देश में धर्म हमारी सबसे बड़ी सांस्कृतिक सम्पत्ति रही है। सभी धर्मों और पन्थों के सिद्धान्त प्रायः एक ही हैं।

विचारकों ने ईश्वर या मोक्ष प्राप्ति के तीन तरीके बताये हैं- ज्ञान, कर्म और योग - योग में भक्ति और साधना दोनों ही सम्मिलित हैं। कर्म का आशय सदाचरण है। ज्ञान - भ्रम और अन्धविश्वासों को हटाता है और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भारत में पाये जाने वाले सभी धर्म इन तीन में से किसी एक मार्ग को लेकर चलते हैं। भारतीय धर्म एक प्रकार से सभी धर्मों का समन्वय है। सभी धर्म मोक्ष, कर्म और पुनर्जन्म और ईश्वर के सिद्धान्तों को किसी-ना-किसी रूप में मानते हैं जो धार्मिक अभिसरण और एकीकरण का स्पष्ट उदाहरण है।

3. प्रजातीय एकीकरण - भारतीय संस्कृति के निर्माण में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान आये प्रजाति का रहा है। यह आक्रमणकारी समूह प्रमुखतः चरागाही एवं पशुपालन की संस्कृति से सम्बन्धित रहा है। इसका सर्वाधिक प्रभाव भाषा पर पड़ा है। इनकी भाषा आज की 'संस्कृत' कहलाती है। इन्होंने ही मूलतः भारतीय समाज के विविधता के रूप को संगठित रूप प्रदान किया। भारतीय संस्कृति और समाज को परिवर्तित रूप प्रदान करने के साथ-साथ आये प्रजाति स्वयं बदल गई। उन्होंने भारत की पूर्व संस्कृति का भी समन्वय किया। भारतीय साहित्य और दर्शन के विकास में इनका प्रत्यक्ष और परोक्ष सहयोग बड़ा महत्त्वपूर्ण है।

इसके बाद में आने वाले अरब, तुर्क, मुगल और अंग्रेज सभी ने अपनी अनूठी विशेषतायें भारतीय संस्कृति के महासागर में जोड़ी हैं। भारतीय संस्कृति की समन्वयवादी प्रवृत्ति ने एक ऐसी संस्कृति को जन्म दिया है जो किसी एक प्रजाति की देन नहीं कही जा सकती अर्थात् सभी का किसी-न-किसी रूप में योगदान रहा है।

4. राजनीतिक एकीकरण - भारतीय संस्कृति में अनेक विविधतायें होते हुए भी राजनीतिक एकता पाई जाती है। भारतीय राजनीतिक विचारधारा इस अनुभाविक सत्य पर आधारित रही है कि भारत में शक्तिशाली केन्द्र सुरक्षा एवं समृद्धि का आधार है। इसके अतिरिक्त प्राचीन भारत के जनतान्त्रिक राज्य एवं स्वायत्त शासन वाली ग्राम पंचायतों की परम्परायें आज के प्रजातन्त्र को अपनी प्राचीन जड़ों से मिलती हैं। आज राजनीतिक दृष्टि से सभी भारतीय एक संविधान, एक राष्ट्र ध्वज, एक भारतीय संसद्, एक सर्वोच्च न्यायालय और एक लौकिक अपराधी कानून व दण्ड प्रक्रिया संहिता आदि के माध्यम से राजनीतिक एकता के सूत्र में बन्धे हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
  2. प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
  3. प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
  4. प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  6. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  7. प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  8. प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
  11. प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
  13. प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  14. प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  15. प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
  16. प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
  17. प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
  19. प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
  20. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
  21. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
  22. प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
  24. प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  25. प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  26. प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
  27. प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  28. प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
  29. प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
  30. प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
  31. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  32. प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  33. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
  34. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
  35. प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
  36. प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
  38. प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
  39. प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
  41. प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  42. प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  43. प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  44. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  45. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  46. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
  48. प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
  49. प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  50. प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
  52. प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
  53. प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
  55. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
  56. प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
  57. प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  58. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
  59. प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
  60. प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
  61. प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
  62. प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
  63. प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
  64. प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
  67. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  68. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  69. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
  70. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
  71. प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
  74. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
  75. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
  76. प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
  77. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।

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